•पारंपरिक वेशभूषा में पहुँची बिश्नोई समाज की महिलाएं
•सिर साठे रुख़ रहें तो भी सस्तो जाण”
•कहे मां अमृता सुनो, निज धर्म की आण।
सिर साटे रूंख रहे, तो भी सस्तो जाण।
सांचोर.जिला मुख्यालय पर अमृतादेवी सर्किल बी.ढ़ाणी रोड पर वृक्ष रक्षार्थ शहीद मां अमृतादेवी बिश्नोई की मूर्ति पर पारंपरिक पोशाक में साड़ा चुंदड़ी और माल्यार्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

इस दौरान बिश्नोई समाज की महिलाओं ने माँ अमृता देवी के बलिदान दिवस पर 363 दीपक जलाकर विनम्र श्रद्धांजलि दी गई। इस कार्यक्रम में बिश्नोई समाज की सैकड़ों महिलाएं पारंपरिक पोशाक पहन कर आई।

इस अवसर पर डॉ भूपेंद्र बिश्नोई ने कहा कि आज ही के दिन राजस्थान के खेजड़ली गांव में माँ अमृता देवी व उनके गांव के 363 लोगों ने खेजड़ी वृक्ष को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया था। जिसको आने वाली पीढ़ियां भी याद रखेंगी। बिश्नोई समाज ने पर्यावरण प्रेम की अनूठी मिसाल पेश की थी। उन्होंने कहा कि हमें अपने लालच के लिए बेवजह पेड़-पौधों को नहीं काटना चाहिए। क्योंकि इनसे ही हमे प्राणवायु ऑक्सीजन मिलती है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में बिश्नोई समाज की महिलाएं एवं लोग मौजूद रहे।
