तूँ राजा रो नौकर है, मैं “बिश्नोई”- गी बेटी हूँ।
घाव मत दीजे पेड़घे, हूँ रूंख- रुखाली बैठी हूँ॥
कहे अमृता देवी निज धर्म की आण..!
सिर साठे रूख रहे तो भी सस्तो जाण..!!
समाज की महिला एवं पुरुष द्वारा खेजड़ली बलिदान 363 शहीदों की याद में वृक्ष बचाओं रैली का हुआ आयोजन
सांचोर.समस्त बिश्नोई समाज सांचोर के द्वारा शहीदी दिवस के अवसर पर अमृता देवी सर्कल पर माँ अमृता देवी अमर रहे अमर रहे की गूंज के साथ उनको याद किया गया। जिसके बाद में बिश्नोई समाज की महिलाएं और पुरूष अपने पारंपरिक परिधान में पहुंचे और वृक्ष बचाओ, पर्यावरण बचाओ रैली का आयोजन किया गया।
मुख्य मार्गों से निकाली गई रैली
रैली का आयोजन अमृता देवी सर्किल से बिश्नोई धर्मशाला, चौधरी धर्मशाला, विवेकानंद सर्किल, मुख्य चार रास्ता से होते हुए पुनः अमृतादेवी सर्किल आकर संपन्न हुई। रैली में बिश्नोई समाज की महिलाएं सिर पर कलश लेकर पारंपरिक वेशभूषा में चल रही थी।
इस अवसर पर समस्त बिश्नोई समाज के धर्म प्रेमी, पर्यावरण प्रेमी पुरुष और महिलाएं 363 खेजड़ली के बलिदान दिवस को याद करते हुए खेजड़ी की महत्ता, पर्यावरण की महत्ता के नारों से आम जन को जागरूकता का संदेश दिया।
इस अवसर पर डॉ भूपेंद्र बिश्नोई ने कहा कि आज खेजड़ी का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है। खेजड़ी की सांगरी एवं खेजड़ी की द्वारा मिलने वाले ऑक्सीजन को लेकर जागरूक किया गया। आज के समय समय जगह-जगह खेजड़ी को काटा जा रहा है, इस बाबत बिश्नोई समाज के लोगों ने खेजड़ी बचाओ रैली का आयोजन कर राजस्थान सरकार को संदेश दिया कि जहां भी खेजड़ी कट रही हैं उनको तत्काल रोका जाए एवं वैज्ञानिकता के इस युग में पर्यावरण के बारे में संदेश दिया।
बिश्नोई समाज के यह लोग रहे मौजूद
इस मोके पर डॉक्टर भूपेंद्र बिश्नोई, जगदीश सारण, दिनेश सारण, धोलाराम सारण, सेतान सारण, मांगीलाल खोड़, कमलेश पवार, ओमप्रकाश मांजू, लालाराम साऊ, श्रवण सारण, पुनमाराम, हनुमान, बाबूलाल, निंबाराम बिश्नोई, सुखराम विशनोई, ओमप्रकाश मांजू, सेतान सारण, कमलेश पवार, सेतान कावा, श्रवण सारण, मोहनलाल विश्नोई, भीखाराम गोदारा, मोतीलाल कावा, किसन लाल साऊ, सुरेश साऊ सहित समाज के लोग मौजूद रहे।