प्रशासन नदारद, ग्रामीणों ने पूछा-क्या किसी बड़े हादसे का इंतजार?
सांचौर (जालौर)। सांचौर उपखंड के नेहङ क्षेत्र का पावटा गांव पिछले सात दिनों से लूणी नदी के तेज बहाव में पूरी तरह से घिरा हुआ है। गांव के चारों तरफ पानी भर जाने से करीब 100 परिवार अपने ही घरों में कैद होकर रह गए हैं। हालात यह हैं कि ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर ट्यूब और देशी जुगाड़ के सहारे पानी पार करके राशन और जरूरी सामान ला रहे हैं।

प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल : गांववासियों का कहना है कि अब तक प्रशासन की तरफ से कोई राहत सामग्री नहीं पहुंचाई गई है और न ही कोई अधिकारी हाल जानने आया है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन “कुंभकरण की नींद” सो रहा है। सवाल यह है कि जब गांव एक सप्ताह से पानी में डूबा हुआ है तो राहत और बचाव कार्य क्यों नहीं शुरू किए गए? क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है?

बढ़ते पानी ने बढ़ाई चिंता : अजमेर, जोधपुर, जालौर और पाली जिले में हो रही बारिश के चलते लूणी नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इससे गांव के हालात और ज्यादा बिगड़ने का खतरा है। ग्रामीणों ने बताया कि महिलाएं, छोटे बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा परेशानी में हैं। घरों में कैद लोग भय के साये में दिन-रात गुजार रहे हैं।

खुद कर रहे जुगाड़ : ग्रामीण मजबूरी में ट्यूब, प्लास्टिक ड्रम और अन्य अस्थायी साधनों से बाहर जाकर राशन व दवाइयां लाने को मजबूर हैं। यह स्थिति उनके जीवन को और खतरे में डाल रही है।

ग्रामीणों की मांग : गांववालों ने प्रशासन से तुरंत राहत सामग्री, मेडिकल टीम और नाव की व्यवस्था की मांग की है। साथ ही पावटा को जल्द से जल्द सुरक्षित स्थान से जोड़े जाने की गुहार लगाई है। ग्रामीणों का कहना है कि प्राकृतिक आपदा के समय लोगों की जान बचाना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है, लेकिन यहां लापरवाही से उनकी जिंदगी दांव पर लगी हुई है।



