श्री गोकरूणा चातुर्मास आराधना महोत्सव का आयोजन
कुम्हार कुमावत प्रजापति समाज ने श्री गोकरूणा संत सत्कार समारोह में देशभर से आए संतों का किया सत्कार
सांचौर/सिरोही श्री मनोरमा गोलोक नंदगांव केसुआं में चल रहे श्री गोकरुणा चातुर्मास आराधना महोत्सव में आज कुम्हार कुमावत प्रजापति समाज के प्रतिनिधियों द्वारा देशभर से आए सैंकड़ों संतों का सत्कार समारोह का दीप प्राकट्य कर शुभारंभ किया।

समारोह परम श्रद्धेय गोऋषि स्वामी श्री दत्तशरणानंद जी महाराज की पावन निश्रा में हुआ। जालोर, सिरोही, बनासकांठा व सांचौर और देशभर से आए समाज के हजारों गोभक्तो ने गोऋषि स्वामी दत्तशरणानंदजी महाराज, सुरजकुंड के पूज्य संत श्री अवधेश चैतन्य जी महाराज व पूज्य महंत श्री चेतनानंदजी महाराज डण्डाली, गोविंद वल्लभदास जी महाराज श्रीपतिधाम व पूज्य निर्मलदासजी महाराज से आशिर्वाद लिया। इसके बाद गोभक्तों ने नंदगांव परिक्रमा व गोपूजन कर धनवंतरी में दुर्घटनाग्रस्त गौमाता के दर्शन किए। संत सत्कार समारोह को संबोधित करते हुए गोऋषि महाराज ने कहा कि कुम्हार समाज खेती और मिट्टी के पात्रों की घड़ाई का कार्य करने वाला समाज है। वर्षों से गोपालन उनके घरों में होता था, होता है और होता रहेगा ऐसा समाज के संतो के प्रयास से लग रहा है। कुम्हार समाज की उपमा भगवान ब्रह्माजी से की जाती है। जिस प्रकार ब्रह्माजी के द्वारा बनाया गया शरीर खराब होने के बाद सही नहीं हो सकता है, उसी प्रकार कुम्हार समाज द्वारा बनाए गए पात्र एक बार खराब हो जाए तो दुबारा किसी से ठीक नहीं हो सकते है।

मलूक पीठाधीश्वर महाराज जी ने कहा कि पथमेड़ा महाराज जी ने आपके समाज के श्री गोविंद वल्लभदास जैसे संत को गोसेवा के लिए समर्पित किया है, ये कुम्हार समाज के लिए अनंत उपहार है। इस अवसर पर श्रीपतिधाम के महाराज गोविंदवल्लभ दास जी ने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि कुम्हार कुमावत प्रजापति समाज की उपमा भगवान ब्रह्माजी के उपासक के रूप में की जाती है और मुझ जैसे छोटे से दास को पूज्य पथमेड़ा महाराज जी ने घड़ा बना दिया है और यह समाज के लिए प्रदत्त कृपा प्रसाद है। महाराज जी ने समाज के सर्वांगीण विकास उत्थान एवं अभ्युदय के लिए मुझे समर्पित किया है, इसलिए पूज्य महाराज जी का ऋण कभी नहीं उतार सकते। यह ऋण तो गोमाता की सेवा और संवर्धन से ही उतरेगा। मैं विश्वास दिलाता हूं कि कुम्हार कुमावत प्रजापति समाज के एक लाख परिवारों में गोपालन करवाने प्रयास करेंगे।

कुम्हार समाज की उत्पत्ति का वर्णन
ब्रह्माजी को यज्ञ में कलश की आवश्यकता हुई तब उन्होंने कुम्हार को उत्पन्न किया। भगवान नारायण ने अपना चक्र और भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल दिया। भगवान ब्रह्मा ने अपनी जनेऊ का धागा दिया। इसे ही कुम्हार ने कलश का निर्माण किया। इससे अब समझ सकते हैं कि कुम्हार समाज का आदि अनादि काल से कितना महत्व है।

श्री गोकरूणा चातुर्मास आराधना महोत्सव में उपस्थित समाज के लोग
समाज के प्रतिनिधियों ने किया संतो का सत्कार
संत सत्कार समारोह में हजारों की संख्या में पधारे कुम्हार समाज के सज्जनों ने अयोध्या, मथुरा, वृन्दावन, हरिद्वार, चित्रकूट, काशी, पुरी व 121 दंडी स्वामी सहित देशभर के सैकङों यतीवृन्द संत महात्माओं का तिलक अर्चन साष्टांग दण्डवत प्रणाम कर विधिवत सत्कार संपन्न किया।