सांचौर शहर इन दिनों अघोषित बिजली कटौती की चपेट में है। भीषण गर्मी के बीच घंटों तक बिजली गुल रहने से आमजन त्राहिमाम कर रहा है। रात 10 बजे से सुबह तक कई कॉलोनियों में बिजली नहीं आने से लोग अंधेरे और बेचैनी में रातें गुजारने को मजबूर हैं। हालात इतने खराब हैं कि न तो विद्युत विभाग कोई सूचना देता है और न ही शिकायतों पर कोई सुनवाई होती है। विभाग का हेल्पलाइन नंबर या तो बंद रहता है या फिर लगातार व्यस्त।
असली कारण: ठेकेदार और बिजली विभाग की ‘डील’?
शहर में नेशनल हाईवे पर बन रहे ओवरब्रिज पर बीप लगाने का कार्य रात्रि के समय किया जा रहा है। नियमानुसार ठेकेदार को रात में बिजली कटवाकर कार्य करने की अनुमति तभी मिलती है जब वह विभाग को निर्धारित शुल्क अदा करे। लेकिन सूत्रों के अनुसार, ठेकेदार और बिजली विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से यह कार्य बिना शुल्क और अनुमति के अघोषित रूप से हो रहा है। ठेकेदार अपनी सुविधा अनुसार रात में बिजली बंद करवा देता है और काम करता है, जबकि पूरा शहर अंधेरे में पसीने से तरबतर रातें काटता है।

“किसने दिया एक ठेकेदार को पूरे शहर की बिजली कटवाने का अधिकार?”
शहरवासी पूछ रहे हैं कि एक निजी ठेकेदार के निजी हितों के लिए पूरी आबादी को क्यों भुगतना पड़ रहा है? क्या अधिकारियों की जवाबदेही खत्म हो चुकी है? क्या जनता की परेशानी अब किसी की प्राथमिकता नहीं रही?
पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई ने सरकार को घेरा: पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “अगर अघोषित बिजली कटौती पर तत्काल रोक नहीं लगाई गई तो जनता के साथ मिलकर उग्र आंदोलन किया जाएगा।” उन्होंने इसे खुला विभागीय भ्रष्टाचार करार देते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की।
“अंधेरी नगरी, चौपट राजा” जैसी स्थिति : गर्मी के इस मौसम में छोटे बच्चे, वृद्धजन, बीमार और कामकाजी लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। दिनभर की थकान के बाद भी चैन की नींद नसीब नहीं हो रही। सोशल मीडिया पर भी जनता का गुस्सा फूट पड़ा है। स्थानीय नागरिकों ने वीडियो व फोटो साझा कर इस अघोषित बिजली कटौती की सच्चाई उजागर की है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
विधायक, जिला कलेक्टर और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से लगातार शिकायतों के बावजूद कोई समाधान नहीं निकल पाया है। सांचौर की जनता अब जवाब मांग रही है—कब तक ठेकेदारों और अधिकारियों की सांठगांठ का खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ेगा? कब मिलेगा जनता को राहत और न्याय?