Sanchore news: सांचौर जिला समाप्त करने के विरोध में सोमवार को 23वे दिन भी धरना जारी रहा। खारा ग्राम पंचायत के सैकड़ों लोगों ने इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। धरने को संबोधित करते हुए पूर्व राज्य मंत्री सुखराम बिश्नोई ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 28 दिसंबर 2024 को सांचौर का जिला दर्जा समाप्त कर दिया था। महज 16 महीने पहले 7 अगस्त 2023 को सांचौर को जिले का दर्जा मिला था। सरकार के इस फैसले से क्षेत्र के लोगों में गहरा आक्रोश है। पूर्व मंत्री बिश्नोई ने कहा कि यह फैसला राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है और इसका कोई तार्किक आधार नहीं है। उन्होंने जिले को वापस बहाल करवाने के लिए हर संभव प्रयास करने का आश्वासन दिया। वहीं स्थानीय लोगों का मानना है कि सरकार का यह फैसला क्षेत्र के विकास को प्रभावित करेगा।
पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई ने बताया कि प्रदेश की वर्तमान सरकार ने पूर्व सरकार द्वारा घोषित सांचौर जिले को 28 दिसम्बर 2024 को निरस्त कर दिया गया है। मगर डीग, खैरथल और सलूंबर जिले जो आबादी के हिसाब से सांचौर के करीब-करीब बराबर हैं। वहीं डीग जिला भरतपुर से मात्र 35 किलोमीटर दूर है। खैरथल जिला, अलवर से मात्र 45 किलोमीटर और सलूम्बर, उदयपुर जिले से 70 किलोमीटर दूर है। जबकि सांचौर जिला जालोर जिले से 145 किलोमीटर दूर और अंतिम गांव आकोडिया रणखार करीब 250 किलोमीटर दूर है।
ज्ञापन में अवगत करवाया-जिले वासियों ने 25 सितम्बर 2024 से 2 अक्टुम्बर 2024 तक जिला मुख्यालय सांचौर के आगे अनशन व महापड़ाव किया था। भाजपा सरकार को सांचौर जिला निरस्त नहीं करने के बारे में भी चेताया था, लेकिन जिला निरस्त कर दिया है। ऐसे में अब जिला निरस्त का आदेश रद्द करके सांचौर को वापस जिला घोषित किया जाए।
धरना स्थल पर यह रहे मौजूद:सुखराम बिश्नोई पूर्व मंत्री व एडवोकेट भीमाराम चौधरी संयोजक सांचोर जिला बचाओं संघर्ष समिति सांचोर व केशाराम मेहरा धमाना के नेतृत्व में ग्राम पंचायत खारा पंचायत वासियों ने धरने में अपनी उपस्थिति दी। जिसमें मांगीलाल खिलेरी जिला परिषद् सदस्य, किशनलाल पंचायत समिति सदस्य, किशनलाल खिलेरी अरनाय मंडल अध्यक्ष, मोबताराम गोदारा पूर्व सरपंच, महादेवाराम पूर्व सरपंच, अमराराम माली, पीराराम देवासी फालना, नगरपरिषद पार्षद बीरबल बिश्नोई, रामावतार बिश्नोई पूर्व सरपंच जाखल, एडवोकेट नरेन्द्र मेघवाल डांगरा, भगवानाराम सेवानिवृति अध्यापक, सुखराम खिचड, सुखराम धेतरवाल, हरिराम भादू, रमेश भादू, गोरखाराम, हरलाल सियाक, हेमाराम खिलेरी, गंगाराम, सदराम बिश्नोई, हरलाल नाई, राजूराम बांगडवा, उकाराम काकड़, पुनमाराम धेतरवाल, वागाराम मांजू, कृष्ण सोनी, किशनाराम, रुपाराम गोदारा, पुनमाराम ढाका, कालूराम मेघवाल सहित सैकड़ों की संख्या में लोग मौजुद रहें।