जालौर में नाबालिग के साथ दुष्कर्म मामले 38 दिन तक मुकदमा दर्ज नहीं करने पर कोर्ट ने बागोड़ा थानाधिकारी को बनाया आरोपी।
Jalore news: जालोर के पोक्सो कोर्ट ने बागोड़ा थानाधिकारी अरुण कुमार पर सख्त रूप अपनाते हुए आरोपी मानकर तलब किया है। दरअसल थानाधिकारी अरुण कुमार के द्वारा 38 दिन तक दुष्कर्म का मामला दर्ज नहीं किया गया था। पीड़िता ने कई बार थाने के चक्कर काटे लेकिन सीआई के द्वारा मामला दर्ज नहीं किया गया, जिसके बाद में पीड़िता एसपी के सामने पेश हुई थी। जब 38 दिनों तक मामला दर्ज नहीं हुआ तो फिर कोर्ट में पीड़िता ने परिवाद दर्ज कराया।

नाबालिग को एक महीने से परेशान कर रहे थे बदमाश : पीड़िता के साथ 3 दिसम्बर 2024 को दुष्कर्म के प्रयास की घटना हुई थी, लेकिन बागोड़ा थानाधिकारी अरुण कुमार ने मामला दर्ज नहीं किया था। जिसके बाद में पीड़िता एसपी के समक्ष पेश हुई, एसपी ने थानाधिकारी को मामला दर्ज करने के निर्देश दिए लेकिन फिर थानाधिकारी ने मामला दर्ज नहीं किया। 7 जनवरी को कोर्ट ने एसपी से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी को थानाधिकारी ने 10 जनवरी को मामला दर्ज किया। अब इसके बाद मामलें में ढिलाई बरतने के कारण पोक्सो कोर्ट ने इसे अपराध माना ओर थानाधिकारी को समन जारी किया।

न्यायाधीश बोले; 38 दिनों तक मामला दर्ज नहीं करना गंभीर अपराध : न्यायाधीश भूपेंद्र कुमार सनाढ्य ने घटना के 38 दिन बाद भी मामला दर्ज नहीं करने को गंभीर अपराध मानते हुए थानाधिकारी अरुण कुमार को आरोपी बनाया। उन्होंने बताया कि थाने में मामला दर्ज नहीं होने पर पीड़िता ने एसपी के सामने शिकायत पेश की। यहां से शिकायत बागोड़ा थाने में भेजने के बाद भी मामला दर्ज नहीं किया गया, जबकि सबूतों के आधार पर घटना साबित होती है। थानाधिकारी की ओर से इस तरह मामला दर्ज नहीं करना गंभीर अपराध है। ऐसे में प्रसंज्ञान लेकर जज ने थानाधिकारी अरुण कुमार को आरोपी बनाकर समन दिया और 27 जनवरी को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए।

यह था मामला: पीड़िता की मां का आरोप है कि उसका पति और दो अन्य लोग स्मैक के आदी हैं। मना करने के बाद भी घर आकर नशा करते हैं। पुलिस को शिकायत की तो गिरफ्तार कर छोड़ दिया। 3 दिसंबर को घर आकर धमकाने लगे। मारपीट कर चले गए। बेटी दुकान पर सामान लेने गई थी, तो एक आरोपी ने कपड़े फाड़ दिए। 4 दिसंबर को सांचौर एसपी को सूचना दी लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। डर से बेटी को स्कूल नहीं भेज सकती। स्कूल छोड़ने के लिए मुझे खुद या किसी की सहायता लेनी पड़ती है। 26 दिसंबर को बेटी को उठाकर ले जाने की कोशिश की। मेरे साथ भी मारपीट की। धमकी दी कि थाने गई तो तुम दोनों को जान से मार देंगे। 27 दिसंबर को एसपी को परिवाद दिया था।
“एसपी ऑफिस से परिवाद आया था, दर्ज करने में लेट हो गया था। मुझे आरोपी माना है। लिखित में आने पर जबाव देंगे।” अरुण कुमार, एसएचओ बागोड़ा।
“एसपी के निर्देश के बाद भी मामला दर्ज नहीं किया। कोर्ट ने थानाधिकारी को भी पॉक्सो की धारा 21 व लोकसेवक का कर्तव्य निर्वहन नहीं करने पर धारा 199 सी बीएनएस को आरोपी माना है।” रणजीत सिंह राजपुरोहित, विशिष्ट लोक अभियोजक