चिता पर जिंदा हो गया शख़्स, डॉक्टरों ने किया था मृत घोषित, पीएमओ सहित तीन डॉक्टरों पर गिरी गाज
◆ ढाई घंटे तक शरीर को डीप-फ्रीज में भी रखा गया था
◆ पुलिस को बुलाकर पंचनामा भी किया गया
◆ मामले में प्रशासन ने दिए जांच के आदेश
झुंझुनूं.कहते हैं कि डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है लेकिन क्या डॉक्टर ही जब लापरवाही बरतने लग जाये तो सोचिए क्या होगा। ऐसा ही ताजा मामला राजस्थान के झुंझुनूं जिले में सामने आया है। जहां पर डॉक्टरों की टीम के द्वारा एक जिंदा व्यक्ति का ही पोस्टमार्टम कर दिया। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या डॉक्टरों के द्वारा पोस्टमार्टम के नाम पर मात्र खानापूर्ति की गई। क्योंकि पोस्टमार्टम की एक बड़ी प्रक्रिया होती हैं, उसके बाद में व्यक्ति का जिंदा रहना असंभव सा लगता है।

अंतिम संस्कार के दौरान चलने लगी सांसे
हैरान कर देने वाला यह मामला झुंझुनूं शहर के सबसे बड़े राजकीय भगवान दास खेतान अस्पताल का हैं। यहां एक जिंदा आदमी का पोस्टमार्टम कर दिया गया और उसे मृत मानकर डीप फ्रीजर में भी रख दिया गया। एक संस्था के लोग व्यक्ति को दाह संस्कार के लिए श्मशान घाट ले गए और चिता पर लेटाया तो उसकी सांसें चलने लगीं। चिकित्सकों ने जिसे मृत घोषित कर दिया था, उसका अब उसी अस्पताल के आइसीयू में इलाज चल रहा है। फिलहाल उसकी हालत सामान्य है।

जिला कलेक्टर ने जांच के लिए गठित की कमेटी
इस मामलें की गंभीरता को देखते हुए जिला कलक्टर ने पूरी मामले की जांच के लिए समिति गठित की है।मामले के अनुसार झुंझुनूं के मां सेवा संस्थान के आश्रय गृह में रहने वाले विमंदित रोहिताश्व (47) की गुरुवार दोपहर तबीयत बिगड़ गई। झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल की इमरजेंसी में उसका इलाज शुरू किया गया। इलाज के दौरान दोपहर करीब डेढ़ बजे डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

इसके बाद उसे अस्पताल की मोर्चरी के डीप फ्रीज में भी रखवा दिया गया। दो घंटे बाद पोस्टमार्टम फिर पंचनामा भी बनाया गया।डॉक्टरों ने मृत मानकर व्यक्ति को संस्थान को सौंप दिया। संस्था के लोगों ने श्मशान में जब उसको चिता रखा तो उसकी सांसें चलने लगीं। उसके शरीर में हरकत देखकर वहां मौजूद लोग भी डर गए। इसके बाद उसे तुरंत एंबुलेंस से अस्पताल लाया गया। अब उसका बीडीके अस्पताल में इलाज चल रहा है और हालत सामान्य बताई जा रही है।

अस्पताल के डॉक्टरों के हाथ पांव फुले
यह मामला सामने आने के बाद अफसरों के हाथ पैर फूल गए। कलक्टर रामावतार मीणा ने कमेटी का गठन किया। कलक्टर के आदेश पर तहसीलदार महेंद्र मूंड, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उप निदेशक पवन पूनिया भी अस्पताल पहुंचे। मामले की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल में पीएमओ डॉ. संदीप पचार की मौजूदगी में देर रात तक डॉक्टरों की बैठक चलती रही। बैठक के बाद सभी अधिकारी वापस कलक्टर के पास पहुंचे। वहां भी बैठक चलती रही। उच्च अधिकारियों से बात करते रहे।
