Seminar: सांचौर में जाम्भाणी साहित्य अकादमी व विवेक विद्या मंदिर के तत्वावधान में एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन राज्यमंत्री केके विश्नोई के मुख्य आतिथ्य व पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई की अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने गुरु जम्भेश्वर की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्जवलित कर किया।

इस संगोष्ठी का मुख्य विषय “गुरु जम्भेश्वर की वाणी में जुगती-मुगती की अवधारणा” रहा। आयोजक बीरबल बिश्नोई ने बताया इस कार्यक्रम में देशभर से प्रतिष्ठित जाम्भाणी साहित्यकार, शोधकर्ता और विश्नोई समाज के शिक्षाविद् ने भाग लिया। संगोष्ठी के संयोजक गोरधन राम ने बताया कि मनुष्य को 500 वर्ष पर गुरु जांभोजी की ओर से दिए गए सिद्धांतो का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जांभोजी के सिद्धान्तों की पालना से ही सही अर्थों में पर्यावरण संरक्षण हो सकेगा।

पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई ने विश्नोई समाज की उपलब्धियों एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति योगदान के बारे में सदन को अवगत कराया। राष्ट्रीय जाम्भाणी साहित्य अकादमी की अध्यक्षा इंद्रा विश्नोई ने कहा कि हवन के कण-कण में एक विशेष शक्ति होती है। उन्होंने पानी, शील और संतोष के सिद्धान्त को अपनाने पर बल दिया। कार्यक्रम के आयोजक बीरबल बिश्नोई रहे।
