सत्संग ही जीवन को सफल बनाने का मार्ग हैं – जिलाध्यक्ष श्रवणसिंह राव बोरली
सांचौर में हुए सत्संग एवं दिपावली स्नेहमिलन कार्यक्रम सम्पन्न
कृपाराम जी महाराज सहित साधुओं का रहा जमावड़ा, नागरिकों ने सुनी सत्संग
सांचौर.भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष श्रवणसिंह राव बोरली के सांचौर स्थित आवास पर सोमवार को दिपावली स्नेहमिलन एवं सत्संग कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम में संतों सहित स्थानीय नागरिकों, भाजपा पदाधिकारियों सहित सैकड़ों जनमानस ने उपस्थिति दी।
कार्यक्रम के प्रारंभ के कथावाचक संत कृपाराम जी महाराज, श्री राजाराम जी महाराज, श्री गणेशनाथ जी महाराज सहित अन्य संतजनों का स्वागत सत्कार किया गया एवं संतों द्वारा गौपूजन कर, तुलसी पूजन किया गया तथा उसके पश्चात् उपस्थित नागरिकों को राष्ट्रभक्ति, सनातन धर्म एवं दैनिक जीवन में साधना के महत्व पर प्रवचन सुनाया गया।
सांचौर स्थित शिवनाथपुरा मठाधिश श्री गणेशनाथ जी महाराज ने बताया की दैनिक जीवन में कठीन परिश्रम आवश्यक हैं, किन्तु परिश्रम सकारात्मक होना चाहिए और यह सकारात्मकता केवल सत्संग और अच्छी संगत से आती हैं।
संत श्री राजारामजी महाराज ने बताया की जीवन में साधना का विशेष महत्व होता हैं, साधक अपने लक्ष्य को साधने के लिए नित्य साधना करे तो ही लाभ प्राप्त होता हैं, और साधना राष्ट्रसेवा, धर्म रक्षा, जीवदया और पर्यावरणहितकारी होनी अनिवार्य हैं।
संत कृपाराम जी महाराज ने सनातन धर्म की वर्तमान स्थिति को बताते हुए बताया की आज सनातन धर्म की रक्षक बनने की आवश्यक्ता नहीं, उसमें बतायी गई बातों का अनुसरण करने की आवश्यक्ता हैं, सनातन आदि अनादि काल से स्वयं की रक्षा कर, यहां तक आया हैं, सनातन धर्म में अपनी रक्षा करने का सामर्थ्य हैं, हमें केवल उस शक्ति की उपासना करनी हैं, जो सनातन धर्म के वेदों, ग्रंथों में बताया गया हैं।
उन्होने बताया की आज संयुक्त परिवार से एकल परिवार का होना, खाद्य पदार्थाें में नशीली दवाईयों की मिलावट, गौसेवा और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभाना हम सभी के शत्रु हैं, जिनका विनाश करना स्वास्थ्य के साथ-साथ सनातन धर्म हेतु आवश्यक हैं।
भाजपा जिलाध्यक्ष श्रवणसिंह राव बोरली ने उपस्थित संतवृदों एवं नागरिकों का आभार व्यक्त करते हुए बताया की सत्संग ही एकमात्र उपाय हैं, जिसके माध्यम से हमारी धार्मिक, सांस्कृतिक विरासत को सींचा जा सकता हैं। सत्संग के माध्यम से संतों द्वारा दिए गए उपदेशों को जीवन में उतारकार, उनका अनुसरण करने से न केवल स्वयं आत्म सन्तुष्ठ होता हैं, अपितु राष्ट्रहित और धर्महित के कार्याें को बल प्राप्त होता हैं।
इस दौरान संत कृपारामजी महाराज, राजारामजी महाराज, गणेशनाथजी महाराज, मनसुखजी महाराज, तुलसपुरीजी महाराज, मोहनरामजी महाराज, एवं बालसंतों सहित मानसिंह राव, मनरूपसिंह राव, सतीशसिंह राव, पूरणसिंह राव, अजमलसिंह राव, नरपतसिंह राव, प्रतापसिंह राव, भंवरसिंह राव, खेमराज देसाई, रमेश सोनी, डॉ. शीला बिश्नोई, प्रवीण माली, इन्द्रसिंह राणावत, जोगाराम पुरोहित, अर्जुनसिंह सरवाणा, जितेन्द्रसिंह मरठवा, उदयसिंह दादाल, अमृतलाल चौधरी, तुलसाराम मांजू, चुन्नीलाल पुरोहित खेजडीयाली, अमराराम देवासी, कृष्णराम देवासी, सांवलाराम देवासी, गिरधारीसिंह आकोली, गजेन्द्रसिंह कारोला, ईश्वरलाल मोदी, पुष्कांत मेघवाल, अशोक पडीयार, रमेश गर्ग, प्रताप पुरोहित दाता, भाखराराम बिश्नोई दाता, अमराराम माली, मगाराम माली, भूराराम दर्जी, अमरसिंह सिवाडा, परबतसिंह भाडू, भादाराम देवासी, कृष्णसिंह राव, ओखसिंह राव, मांगीलाल दर्जी, इन्द्रसिंह राव सांचौर, दूर्गाराम बेनीवाल, हरियादेवी देवासी, सुरज कंवर, लुणकरण खत्री सहित सैकड़ों मातृशक्ति, भाजपा पदाधिकारी, कार्यकर्ता एवं स्थानीय नागरिकगण मौजूद रहे।